क्या गणित विषय वाकई कठिन है, बच्चों के अनुत्तीर्ण होने में बड़ा योगदान !

क्या गणित विषय वाकई कठिन है, बच्चों के अनुत्तीर्ण होने में बड़ा योगदान ! 



(पियुश भाई परमार  ): कई छात्र इस बार दसवीं की परीक्षा में गुजराती भाषा और गणित में असफल रहे हैं। मुझे नहीं पता कि इन दोनों में से कितने प्रतिशत छात्र फेल हुए हैं। इसके अलावा, मेरा मानना ​​है कि खराब भाषाविज्ञान और खराब गणित दोनों ही आपस में जुड़े हुए हैं।

एक बात हमें समझनी चाहिए कि जब बच्चे स्कूल आते हैं, तो वे मातृभाषा के दो पहलुओं को आत्मसात करके आते हैं। एक इसे बोलने के लिए और दूसरा इसे सुनने के लिए। बच्चों को तब कक्षा में पढ़ना और लिखना दोनों सीखना होता है। कभी-कभी बच्चों को व्याकरण भी सीखना पड़ता है। हालांकि, कई बच्चे व्याकरण में रुचि नहीं रखते हैं। इसके लिए कई कारण हैं। हम कभी-कभी उसके बारे में सोचेंगे।

दूसरी बात, हमें यह भी समझना चाहिए कि गणित भी एक भाषा है। गणित की अपनी शब्दावली है। जैसे, संख्या और प्लस, ऋण, गुणन, विभाजन, कोष्ठक, आदि। और गणित का अपना व्याकरण (तकनीकी भाषा में 'वाक्य रचना') है। जब शिक्षक पहले ब्रैकेट और फिर स्टिक्स को छोड़ने के लिए कहता है, तो वह वास्तव में गणितीय व्याकरण के नियमों को कह रहा है।

  जिस तरह एक बच्चा पढ़ना और लिखना सीखता है, ठीक उसी तरह वह भी गणित सीखता है। जिस तरह से एक बच्चा व्याकरण सीखता है, उसी तरह से वह गणित के नियम भी सीखता है। यदि कोई बच्चा लिखने और पढ़ने में कमजोर है, तो वह गणित के कुछ सवालों को भी नहीं समझेगा। विशेष रूप से प्रयोग शब्द अधिक कठिन है। "मेरे पास पचास रुपये थे। मेरी चाची ने मुझे एक और तीस दिया। उनमें से चालीस मैंने चार भाइयों में बांटे। फिर मुझे 50 रुपये में कुछ खरीदना पड़ा। मेरी माँ ने मुझे इसके लिए पैसे दिए। तो मेरी माँ ने मुझे कितना दिया?" यह वास्तव में एक कहानी है। अगर कोई बच्चा इस कहानी को नहीं समझ सकता है, तो वह इसका जवाब कैसे खोज सकता है?
  जहा तक मुझे याद है मै  जब बारहवी कक्षा का गणित पढ़ रहा था तो उसमे Derrivative, और  Integration  यह ऐसे दो विषय थे जिसमे पास होने में अहम भूमिका थी लगभग, 35 % मार्क्स यह दोनों विषय कवर करते थे| मैंने इसीमे जान डाल दि और पास हो गया| लेकिन मै तब भी अनभिज्ञ था और आज भी हूँ  की इन विषय से मेरी रोजमर्रा की जिंदगी से क्या लेना देना | आजतक दोनों बिषय का मुझे कोई फायदा नहीं हुआ हलाकि मेरा कार्यक्षेत्र तांत्रिक रहा है 
तात्पर्य यह है की बच्चों को गणित कहानी के तौर पर  और उनके तुरंत कामकाज से समन्धित नहीं पढाया  गया तो फेल होने की आशंका अधिक रहेगी और जो विषय वो पढने जा रहे है उसका उपयोग किस क्षेत्र में अधिक है यह जानकारी निर्देशित रहेगी तो तो बच्चे का Interest  बना रहेगा |

  बच्चे व्याकरण जानते हैं। यदि वह नहीं जानता है, तो वह अन्य बच्चों के साथ संवाद नहीं कर सकता है। इसके अलावा, व्याकरण के बारे में नहीं जानते। इसी तरह, भले ही बच्चे 1 से 10 तक की संख्याओं को जानते हों, 2 + 2 करने की बात आने पर वे भ्रमित हो जाएंगे। हालांकि, वही बच्चे 12 + 11 पर वापस जा सकते हैं। इसका मतलब है कि बच्चे कुछ 'गणितीय' कार्यों को नहीं जानते हैं। जिस तरह बच्चों को व्याकरण में 'मेटलंगेज' सीखना होता है, उसी तरह गणित में भी।

  यदि बच्चे गणित में प्रवीण बनना चाहते हैं, तो उन्हें भाषा में भी पारंगत होना चाहिए। नृविज्ञान हमेशा भाषा और गणित के लिए अलग-अलग पाली में काम नहीं करता है। अक्सर वह एक शिफ्ट में कई विषयों पर काम कर रहा होता है। हमें मानव मन की इस वास्तविकता का लाभ उठाना होगा। दरअसल, यह सोचने का समय है कि आज की पीढ़ी मोबाइल के संचालन को जल्दी सीखती है, अगर वे गणित में रुचि दिखाते हुए सीखते हैं, तो गणित कठिन नहीं है, केवल आपको अपने विवेक का उपयोग करने और समझने की आवश्यकता है। यदि हमारे बच्चे हमारी मातृभाषा में असफल होते हैं, तो इससे बड़ी कोई दया नहीं है। आज, अगर माता-पिता को अपने बच्चों की एक और क्षेत्र में छोटी उपलब्धि मिलती है, तो वे कई लोगों से बात करने में सक्षम होते हैं। यह वास्तव में विचार-मंथन का समय है
 जापान और जर्मनी की प्रगति में मातृभाषा का बहुत बड़ा योगदान है। और हम सभी अपनी मातृभाषा छोड़कर दूसरी भाषा में चले गए हैं।
लेखक :
(पियूषभाई परमार )

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