हिंदी गीत

 


    तू ठहर तू ठहर ए नाकाम परेशां

तू ठहर तू ठहर

छोड़ न जा इन बहारों को झाक़ी

       तू ठहर तू ठहर तुझमे उम्मीद है बाकि

 

          तूफां खिंच रहा है,

           समंदर खौल रहा है

           ये टूटे दिल के मासूम,

           जीना अब भी बाकी,

           सर्द हवा रेतों की  

           जैसे पुकारे--- तू ठहर

               तू ठहर तू ठहर तुझमे उम्मीद है बाकि

 

          तेरे स्कूल के आँगन,

           तूने पौधों से सीचां है

          क्या तूने जाना है,

          वो फल से मुस्करा रहे है

           तुझसे अर्जी लिखवाने वाली,

           हमसफ़र पुकारे--- तू ठहर

               तू ठहर तू ठहर- तुझमे उम्मीद है बाकि

 

           लौट के आ अपने मंदिर,

             तुझको भगवान मिलेगा

           तेरे खातिर जिसने

           तोड़ी लाज की जंजीर

           दुआ जिसकी असर अक्सर

           वो माँ पुकारे--- तू ठहर   

               तू ठहर तू ठहर- तुझमे उम्मीद है बाकि


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